Monday, June 18, 2018


Pride/Ego Quotes & Story in Hindi /

अहंकार पर अनमोल विचार

पहले तो PRIDE/EGO पर HINDI में STORY पढ़ लें:

एक लड़का बहुत ही चतुर था. उसने बहुत सी कलाएँ सीखी थीं. उसे तीर चलाना अगया था, नाव चलाना सिख लिया था, सुन्दर घर और माकन बनाना सिख गया था.
घर लौटा तो वह घमंड के साथ लोगों से बात करता और कहता कि दुनिया में कोई भी नहीं जो मेरा मुकाबला कर सके. मैं उतना कुछ जनता हूँ जितना किसी एक व्यक्ति के लिए जानना नामुमकिन है.
Bhagavaan Gautam Buddh ने जब ये देखा तो सोचा उसे सिक्षा देने की आवश्यकता है. उन्हों ने एक बूढ़े का रूप धारा और अपने हाथ में एक भिक्षापात्र लेकर उसके पास पहुंचे.

लड़के ने पूछा: तुम कौन हो?
बुद्ध ने कहा: मैं अपने आप को वश में रखने वाला एक आदमी हूँ.
उनकी बात लड़के को समझ में नहीं आई.
उसने कहा: आप का मतलब?
बुद्ध बोले: कोई आदमी तीर चलाना जानता है, कोई नाव खेना जानता है तो कोई सुन्दर घर बनाना जनता है. लेकिन ज्ञानी आदमी अपने ऊपर शासन करना जनता है.
लड़का Bhagavaan Gautam Buddh के इतना कहने पर भी कुछ न समझा तो उसने फिर पूछा: अपने ऊपर शासन करना क्या होता है?
बुद्ध ने कहा: अगर कोई उसकी प्रशंसा करे तो वो ख़ुशी से नहीं फुल जाता. या निंदा करे तो दुखी नहीं हो जाता. इस तरह उसका मन उसके वश में रहता है. ऐसा आदमी किसी चीज़ या हुनर का अभिमान नहीं करता.
बुद्ध की बातों का उस लड़के पर ऐसा असर हुआ कि उसने उस दिन से डींगें हांकना बिलकुल ही बंद कर दिया.
प्रत्येक आदमी को इश्वर ने कोई न कोई विशेषता दे रखी है. लेकिन इसके लिए इन्सान को अपने आप पर अभिमान नहीं करना चाहिए. एक अभिमानी व्यक्ति ही दुखों का अधिक शिकार हुआ करता है. याद रखिये…
इस दुनिया में प्रतियेक अंह के लिए एक पहाड़ है. जब अंह को अपने से बड़ा पहाड़ नज़र आता है, वो दुखों में डूब जाता है.
अभिमान ये बताता है कि आदमी का मन अपने वश में नहीं है. और वह खुद पर शासन करना नहीं जानता.

PRIDE/EGO QUOTES IN HINDI अहंकार पर अनमोल विचार:

1::--जो मनुष्य अहंकार करता है, उसका एक न एक दिन पतन अवश्य हो जाएगा.
महर्षि दयानंद सरश्वती
2::--सुख बाहर से मिलने की चीज़ नहीं है, वह तो हमारे भीतर मौजूद है. लेकिन अहंकार को तयागे बिना उसे पाना मुमकिन नहीं. So Do Not Pride on Yourself.
3::--दुर्बलतम शरीरों में अहंकार प्रबलतम होता है.
शेक्सपियर
4::--राजाओं को अपने एश्वर्य और फकीरों को अपनी फकीरी का अभिमान होता है.
शेख सादी
5::--हमारा अहंकार ही है जो हमें तब विचलित कर देता है जब हमें अपनी आलोचना सुनने को प्राप्त होती है.
मेरी कोलएडी
तृष्णाओं से मुक्त होने के लिए अहंकार से मुक्त होना ही आपके लिए परम आवश्यक है.
महात्मा बुद्ध
छोटे आदमी का अहंकार बड़ा होता है.
वाल्टेयर
अत: अहंकार को त्यागना आवश्यक है. इसे अपने मन का विकार कह सकते हैं, जो हमें दूसरों की खूबियाँ नहीं देखने देता और स्वंय की खामियों को भी नज़र अंदाज़ करवा डालता है.

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